शिमला रोपवे प्रोजेक्ट को मंजूरी: 13.79 किमी का Rs 1734 करोड़ का मेगा प्लान

By Apex@Infra

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Shimla Ropeway Project

भाई, अगर तुम उत्तर प्रदेश के किसी छोटे शहर से हो और हिमाचल की सैर का प्लान बना रहे हो, तो सुनो ये खबर कितनी कमाल की है। Shimla Ropeway Project को केंद्र सरकार ने पूरी तरह से हरी झंडी दे दी है, और ये 13.79 किलोमीटर लंबा रोपवे शिमला की तंग सड़कों पर ट्रैफिक की समस्या को जड़ से खत्म कर देगा। उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने खुद बताया कि ये प्रोजेक्ट चार साल में बनकर तैयार हो जाएगा, जिसमें 1,734 करोड़ रुपये लगेंगे और 13 स्टेशन होंगे, जो सेक्रेटेरिएट से लेकर अस्पतालों, स्कूलों और बस स्टैंड तक जोड़ेगा। पर्यावरण की चिंता को देखते हुए स्टेज-1 Environmental Clearance मिल चुकी है, जहां 6 हेक्टेयर जंगल की जमीन इस्तेमाल होगी लेकिन 25 करोड़ रुपये का कंपेंसेशन देकर पेड़ों की कटाई का हर्जाना भरा जाएगा। ये सब कुछ हमारे जैसे आम आदमियों की सुविधा के लिए है, ताकि पहाड़ी रास्तों पर घूमना आसान हो जाए।

अरे यार, शिमला में सालों से जाम की मार झेल रहे लोग अब चैन की सांस लेंगे, क्योंकि ये रोपवे ऊंची जगहों तक बिना थकान के पहुंचाएगा और पर्यटन को नई रफ्तार देगा। सरकार का ये कदम न सिर्फ लोकल इकोनॉमी को बूस्ट करेगा, बल्कि हजारों नौकरियां भी पैदा करेगा, खासकर Tourism Hub बनाने की दिशा में। रिसर्च बताती है कि ऐसे प्रोजेक्ट से हिमाचल को स्विट्जरलैंड जैसा बनाना आसान हो जाएगा, और हमारे UP वाले भाई-बहन जब वहां जाएंगे तो ट्रैफिक की टेंशन भूल जाएंगे। कुल मिलाकर, विकास और पर्यावरण का बैलेंस रखते हुए ये योजना क्षेत्र को मजबूत बनाएगी, और हमें सोचना चाहिए कि ऐसी चीजें हमारे यहां भी क्यों न आएं।

Shimla Ropeway Project की रूपरेखा: तकनीकी विवरण और निवेश की झलक


भाई, अगर तुम शिमला घूमने का मन बना रहे हो तो ये सुनकर खुशी होगी कि Shimla Ropeway Project की रूपरेखा इतनी मजबूत है कि पहाड़ी सफर आसान हो जाएगा। ये प्रोजेक्ट कुल 13.79 किलोमीटर लंबा होगा, जो तारादेवी से लेकर संजौली, आईजीएमसी, लक्कर बाजार और 103 टनल जैसे प्रमुख इलाकों को जोड़ेगा, ताकि हमारे जैसे UP वालों को घूमना-फिरना बिना झंझट के हो। मार्च 2025 से निर्माण शुरू होकर 2029 तक पूरा होगा, और इसमें 15 स्टेशन व तीन रूट लाइनें होंगी, जो स्विस स्टाइल के Modern Cabins से लैस होंगे – हर केबिन में 8-10 लोग समा सकेंगे। पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए सोलर पैनल लगाए जाएंगे, ताकि ये ग्रीन एनर्जी पर चले और कार्बन उत्सर्जन न बढ़े। रिसर्च बताती है कि ये दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रोपवे होगा, जो बोलीविया के ला पाज से थोड़ा छोटा लेकिन भारत का सबसे लंबा।

Shimla Ropeway Project
Shimla Ropeway Project

अरे यार, निवेश की बात करें तो ये Budget 1734 करोड़ रुपये का है, जिसमें 20 प्रतिशत राज्य सरकार देगी और बाकी 80 प्रतिशत न्यू डेवलपमेंट बैंक का लोन, जो पीपीपी मॉडल पर टिका है। इससे निजी कंपनियां भी जुड़ेंगी, और इंजीनियरिंग एक्सपर्ट्स के मुताबिक शुरुआत में हर घंटे 2000 यात्री संभालेगा, जो 2059 तक बढ़कर 6000 हो जाएगा। ईंधन की बचत के साथ समय भी बचेगा, क्योंकि सड़क के 60 किमी सफर को ये रोपवे आधे वक्त में कवर करेगा। कुल मिलाकर, ये Infrastructure का ऐसा कदम है जो हिमाचल को आगे ले जाएगा, और हमें सोचना चाहिए कि हमारे यूपी के शहरों में भी ऐसी योजनाएं क्यों न आएं, ताकि ट्रैफिक की मार न झेलें।

ट्रैफिक समस्याओं से मुक्ति: कनेक्टिविटी में नया आयाम


भाई, शिमला के तंग रास्तों पर ट्रैफिक की मार तो हम सबने सुनी होगी, जैसे हमारे यूपी के छोटे शहरों में बाजार के जाम लग जाते हैं, वैसे ही वहां पर्यटक सीजन में हजारों गाड़ियां फंस जाती हैं। लेकिन अच्छी बात ये है कि Shimla Ropeway Project इस समस्या का जबरदस्त हल साबित होगा, जो तारादेवी से शुरू होकर ज्यूडिशियल कॉम्प्लेक्स, चक्कर, टुटिकांडी, न्यू आईएसबीटी, रेलवे स्टेशन, ओल्ड आईएसबीटी, लिफ्ट, छोटा शिमला, नौबहादर, संजौली, आईजीएमसी, लक्कर बाजार और 103 टनल तक फैला होगा। रिसर्च से पता चलता है कि ये रूट 13 स्टेशन जोड़ेगा, जिससे 90 किमी की सड़क यात्रा का समय आधा हो जाएगा – बस 2 घंटे में पहुंच जाओगे, बिना घंटों इंतजार के। पर्यटक और लोकल लोग अब पहाड़ी चढ़ाई की थकान से बचेंगे, और Urban Mobility को नया जोश मिलेगा, जैसे हमारे यहां मेट्रो आने से राहत मिली।

अरे यार, इससे शिमला की Connectivity इतनी मजबूत हो जाएगी कि आर्थिक रफ्तार तेज हो जाएगी, खासकर सर्दियों में बर्फबारी के दौरान ये तो जान बचाने वाला बनेगा, जब सड़कें बंद हो जाती हैं। सरकार कहती है कि सालाना 25 लाख से ज्यादा यात्री इससे फायदा लेंगे, और ट्रैफिक कम होने से प्रदूषण भी घटेगा, जो पर्यावरण के लिए बड़ा प्लस है। विशेषज्ञ बताते हैं कि ये Sustainable Transport का मॉडल है, जो हिमाचल को स्विट्जरलैंड जैसा बना देगा, और हमारे यूपी वाले भाई जब जाएंगे तो सोचेंगे कि काश हमारे शहरों में भी ऐसा कुछ हो। कुल मिलाकर, ये प्रोजेक्ट न सिर्फ जाम से मुक्ति देगा, बल्कि जीवन को आसान बना देगा।

पर्यावरणीय चुनौतियां: जंगल भूमि और मंजूरी की सख्ती Green initiative

भाई, शिमला के रोपवे प्रोजेक्ट में जंगल की जमीन का इस्तेमाल तो होना ही है, लेकिन केंद्र सरकार ने स्टेज-1 Environmental Clearance देते हुए साफ कहा है कि 6.19 हेक्टेयर फॉरेस्ट लैंड का यूज तभी होगा जब हर पर्यावरण नियम का पालन हो। हमारे जैसे यूपी के लोग जो पहाड़ों की हरियाली से प्यार करते हैं, वो जान लें कि राज्य सरकार ने वन संरक्षण को सबसे ऊपर रखा है – 820 से ज्यादा पेड़ कटने हैं, जिनमें आधे देवदार के हैं, लेकिन बदले में कुल्लू के लुहरी इलाके में 4,000 से ज्यादा नए पौधे लगाए जाएंगे। रिसर्च से पता चलता है कि ये पुनर्वनीकरण प्लान इकोसिस्टम को बैलेंस रखेगा, ताकि हिमाचल की वो खूबसूरत वादियां बनी रहें जो हमें घूमने बुलाती हैं। विशेषज्ञों की सख्त नजर में हर कदम उठाया जा रहा है, जैसे हमारे यहां गंगा सफाई में होता है, बिना किसी लापरवाही के।

अरे यार, पर्यावरण प्रेमी भले कुछ चिंता जताएं, लेकिन मंजूरी प्रक्रिया इतनी पारदर्शी रही कि कोई शक नहीं रह गया, और ये Green Initiative सड़क की गाड़ियों से 50% कम कार्बन उत्सर्जन करेगा। नवंबर 2025 तक 2.74 हेक्टेयर नॉन-फॉरेस्ट लैंड भी ट्रांसफर हो चुकी है, जहां ट्री अथॉरिटी कमिटी से ही पेड़ काटने की परमिशन ली जाएगी, बिना सेंट्रल मिनिस्ट्री के चक्कर के। हिमाचल की प्राकृतिक खूबसूरती को बचाते हुए विकास का ये संतुलन देखकर लगता है कि Compliance का मतलब सिर्फ कागज नहीं, बल्कि असली जिम्मेदारी है। हमें सोचना चाहिए कि हमारे यूपी के हिल स्टेशनों पर भी ऐसी प्लानिंग क्यों न हो, ताकि प्रकृति और प्रोग्रेस साथ चलें।

हिमाचल की महत्वाकांक्षी योजनाएं: रोपवे से आगे की राह जिसका budget 80 करोड़ रुपये

भाईयो और बहनों, आप सब उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं, जहां की समतल ज़मीन पर घूमना आसान है, लेकिन हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में पहुंच बनाना कितना मुश्किल होता है, ये हम अच्छे से समझ सकते हैं। अब वहां की सरकार Ropeway Projects पर जोर दे रही है, जैसे शिमला में 13.79 किलोमीटर लंबा रोपवे जो 1734 करोड़ रुपये की लागत से बन रहा है, और ये पर्यटकों को आसानी से घुमाने में मदद करेगा। कुल्लू में धालपुर से पीज तक का 1.20 किलोमीटर का रोपवे भी तेज़ी से बन रहा है, जिसका बजट 80 करोड़ रुपये है और जून 2027 तक पूरा हो जाएगा। ये प्रोजेक्ट न सिर्फ ट्रैफिक कम करेंगे, बल्कि हमारे जैसे आम लोगों को सस्ते और सुरक्षित सफर का मौका देंगे, जैसे हम यूपी में बसों से घूमते हैं।

ये सब योजनाएं हिमाचल को एक बड़ा Tourism Destination बनाने की दिशा में हैं, जहां की प्राकृतिक सुंदरता हम उत्तर प्रदेश वाले भी एंजॉय कर सकें। राज्य में और भी कई मेगा प्रोजेक्ट्स प्रस्तावित हैं, जो स्थानीय लोगों के लिए Economic Growth लाएंगे और हज़ारों रोजगार पैदा करेंगे। उपमुख्यमंत्री कहते हैं कि ये रोपवे न सिर्फ पर्यटन को नया आयाम देंगे, बल्कि पहाड़ी समुदायों को सीधा फायदा पहुंचाएंगे, जैसे हमारे गांवों में सड़कें बनने से होता है। कुल मिलाकर, हिमाचल अब आधुनिक भारत का चमकता सितारा बनेगा, और हम सब इसके गवाह बनेंगे।

निष्कर्ष

शिमला रोपवे प्रोजेक्ट की मंजूरी हिमाचल के विकास की एक मील का पत्थर है, जो innovation और sustainability का बेहतरीन उदाहरण पेश करता है। यह न केवल ट्रैफिक की समस्या हल करेगा, बल्कि पर्यटन उद्योग को नई गति देगा। लेकिन सफलता के लिए पर्यावरण संरक्षण और स्थानीय भागीदारी जरूरी है। क्या यह प्रोजेक्ट पहाड़ी राज्यों के लिए एक मॉडल बनेगा? यह सवाल हर जागरूक नागरिक के मन में उठना चाहिए।

इस initiative से प्रेरित होकर अन्य राज्य भी समान प्रयास कर सकते हैं। अंततः, विकास का मतलब केवल निर्माण नहीं, बल्कि लोगों की सुविधा और प्रकृति का सम्मान है। हिमाचल की यह यात्रा हमें सोचने पर मजबूर करती है कि कैसे हम अपनी धरोहर को संभालते हुए आगे बढ़ें।

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Apex@Infra

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