भाईयो और बहनों, आप सब जानते ही हैं कि पूर्वांचल में सड़कें कितनी जरूरी हैं, खासकर जब बात गोरखपुर से सिलीगुड़ी जाने की हो। अब इस Gorakhpur Siliguri Expressway के Route Alignment में बड़ा बदलाव आया है, जिससे कुशीनगर को जोड़ा गया है और देवरिया को बायपास कर दिया गया। गोरखपुर सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे एनएचएआई ने ये फैसला टेक्निकल सर्वे के बाद लिया, ताकि निर्माण आसान हो और समय पर पूरा हो सके। इससे न सिर्फ दूरी कम होगी, बल्कि यात्रा का समय भी आधा रह जाएगा, जो हमारे जैसे आम लोगों के लिए बड़ा राहत है। कुशीनगर के समतल इलाके से गुजरने से काम तेज होगा, और स्थानीय किसानों को अच्छा Compensation मिलेगा, जो उनकी जिंदगी में नई उम्मीद लाएगा।
ये बदलाव पूर्वी यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल को और मजबूती से जोड़ेगा, जैसे परिवार के सदस्य एक-दूसरे से जुड़ते हैं। पहले देवरिया से गुजरने वाला रूट अब कुशीनगर होते हुए जाएगा, जिससे कुल 568 किलोमीटर का सफर और सुगम बनेगा। विशेषज्ञ कहते हैं कि ये रणनीतिक कदम है, क्योंकि इससे इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत होगा और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। हमारे गांवों में रोजगार बढ़ेंगे, व्यापार आसान होगा, और नेपाल बॉर्डर के पास रहने वालों को भी फायदा पहुंचेगा। कुल मिलाकर, ये प्रोजेक्ट हमें बताता है कि सरकार हमारे इलाके की तरक्की के लिए कितनी गंभीर है।
नया रूट: कुशीनगर होते हुए सिलीगुड़ी तक सीधी पहुंच
भाई, अब सुन लो नया रूट कैसे चलने वाला है – गोरखपुर से निकलते ही सीधा कुशीनगर में घुस जाएगा ये Gorakhpur Siliguri Expressway, फिर बिहार की बॉर्डर पार करके एकदम सिलीगुड़ी तक दौड़ेगा। कुल 568 किलोमीटर लंबा, छह लेन का चकाचक हाईवे बनेगा जो पूरी तरह Greenfield Project है, यानी जंगल-खेत बचाते हुए पर्यावरण को ध्यान में रखकर बन रहा है। बिहार में पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया, कटिहार, पूर्णिया और किशनगंज – पूरे आठ जिले इससे जुड़ जाएंगे, और अंत में सिलीगुड़ी में जाकर मिलेगा। हमारे पूर्वांचल का ये Connectivity Boost इतना जबरदस्त होगा कि नेपाल से लेकर बंगाल तक का माल और लोग बिना रुके आ-जा सकेंगे।
सोचो, पहले गोरखपुर से सिलीगुड़ी पहुंचने में 12-15 घंटे लगते थे, अब सिर्फ 6-8 घंटे में पहुंच जाओगे! Travel Time इतना कम हो जाएगा कि शाम को चाय पीकर निकले तो रात का खाना सिलीगुड़ी में खा लोगे। नेपाल की सीमा के बगल-बगल चलने वाले हिस्से में बड़े-बड़े Interchange और पुल बन रहे हैं, जिससे ट्रैफिक कभी नहीं अटकेगा। गांव वाले भैया खुश हैं कि अब उनका इलाका मुख्य सड़क से जुड़ जाएगा, बच्चों को अच्छे स्कूल-कॉलेज जाना आसान होगा, और फसल बेचने के लिए दूर के बाजार तक पहुंच बन जाएगी। सच में, ये नया रास्ता पूर्वी भारत के Transport Network को नई जान डालने वाला है!
Gorakhpur Siliguri Expressway Route Map
निर्माण की लागत और निर्धारित समयसीमा
भाई, इतना बड़ा Expressway बनाने में पैसे की बात तो बनती है – कुल अनुमानित Construction Cost 38,645 करोड़ रुपये बैठ रही है, जिसमें सबसे ज्यादा खर्चा जमीन लेने यानी Land Acquisition पर आएगा। केंद्र सरकार पूरा Funding दे रही है, और काम EPC मोड में चल रहा है, मतलब ठेकेदार को पैसा देकर पूरा प्रोजेक्ट सौंप दिया गया है। बिहार में सबसे लंबा हिस्सा 417 किलोमीटर का है, इसलिए वहां का Budget Share सबसे ज्यादा है, लेकिन भाई ये पैसा डूबेगा नहीं – आने वाले सालों में माल ढुलाई, व्यापार और टूरिज्म से इतना ROI आएगा कि सब भूल जाएंगे कितना खर्च हुआ। साथ ही सड़क पर Safety Standards इतने ऊंचे रखे जा रहे हैं कि हमारे बच्चों को सुरक्षित सफर की गारंटी मिलेगी।
अब समय की बात कर लें – पूरा प्रोजेक्ट 2028 तक तैयार करने की Deadline तय है, और इसके लिए अभी से लैंड का काम जोर-शोर से चल रहा है। Tender Process लगभग पूरा हो चुका है, बस छह-सात महीने में जेसीबी और बुलडोजर मैदान में उतर जाएंगे। अगर बारिश-बाढ़ ने साथ दिया और सब प्लान के मुताबिक चला, तो 2028 में हम अपने पूर्वांचल को चमकता-दमकता देखेंगे। हां, मौसम की मार को देखते हुए Monitoring बहुत सख्त रखी जा रही है, ताकि कोई देरी न हो। कुल मिलाकर, ये पैसा और वक्त हमारी आने वाली नस्लों के लिए निवेश है, भाई!
इससे जुड़े राज्य और प्रभावित जिले
भाई, सोचो तो, ये Gorakhpur Siliguri Expressway हमारे तीन राज्यों – उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल – को एक धागे में पिरो देगा, जैसे परिवार के लोग एक साथ बैठकर चाय पीते हैं। यूपी में करीब 84 किलोमीटर का हिस्सा गोरखपुर, कुशीनगर और देवरिया जैसे जिलों से गुजरेगा, बिहार में सबसे लंबा 416 किलोमीटर का सफर पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, शिवहर, दरभंगा, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज – पूरे नौ जिलों को छुएगा, और बंगाल में बाकी 19 किलोमीटर दार्जिलिंग जिले में सिलीगुड़ी तक पहुंचेगा। ये Route Integration इतना स्मार्ट है कि नेपाल बॉर्डर के किनारे-किनारे चलकर व्यापार को आसान बना देगा। कुल 313 गांवों से होकर गुजरने वाला ये मार्ग हमारे ग्रामीण इलाकों को नई जिंदगी देगा, जहां किसान भैया अपनी फसलें तेजी से बाजार तक पहुंचा सकेंगे।
अब फायदे की बात करें, तो District Connectivity बढ़ने से व्यापार और पर्यटन में जबरदस्त उछाल आएगा – किशनगंज जैसे सीमावर्ती जिले में बॉर्डर ट्रेड इतना आसान हो जाएगा कि नेपाल से माल आना-जाना बस घर की चाय की तरह लगेगा। विशेषज्ञ भैया कहते हैं कि ये Multi-State Project पूर्वांचल के पिछड़े इलाकों के असंतुलन को मिटा देगा, और युवाओं के लिए Local Employment के ढेर सारे मौके खड़े करेगा। हमारे बिहार के नौ जिलों में फैक्टरियां लगेंगी, होटल-रेस्टोरेंट खुलेंगे, और गोरखपुर के बाजार सिलीगुड़ी से सीधे जुड़ जाएंगे। सच में, ये सड़क न सिर्फ कनेक्शन बढ़ाएगी, बल्कि हमारी आने वाली पीढ़ी को समृद्धि का तोहफा देगी, भाई!
यात्रियों और स्थानीय अर्थव्यवस्था को अपार लाभ
भाई, अब सबसे मजेदार बात – ये Expressway हमारे जैसे आम यात्रियों के लिए सीधा वरदान है! Speed Limit 120 किलोमीटर प्रति घंटा होगी, यानी गोरखपुर से सिलीगुड़ी का सफर अब चाय पीते-पीते पूरा हो जाएगा, थकान नाम की चीज भूल जाओगे। ट्रक वाले भैया को डीजल और समय दोनों की बचत होगी, Logistics Cost इतना कम पड़ेगा कि माल सस्ता हो जाएगा। और हमारे पूर्वांचल के किसान भैया? गन्ना, धान, सब्जी सब सिलीगुड़ी-दार्जिलिंग के बाजार में ताजी-ताजी पहुंचेगी, बीच के दलालों का खेल खत्म! कुल मिलाकर ये सड़क हमारी Mobility को पंख लगा देगी, जैसे गांव का लड़का पहली बार बुलेट चलाए।
दूसरी तरफ Economic Growth की तो जैसे बाढ़ आने वाली है – जहां-जहां ये सड़क गुजरेगी, वहां होटल, ढाबा, पेट्रोल पंप, गोदाम सब उग आएंगे। बिहार के 305 गांवों में Compensation का पैसा आएगा तो किसान भाई नई ट्रैक्टर लेंगे, बच्चों को अच्छे स्कूल भेजेंगे, जिंदगी बदल जाएगी। Tourism Boost भी जबरदस्त होगा, कुशीनगर का बुद्ध सर्किट, नेपाल का लुंबिनी, दार्जिलिंग की चाय बागान – सब एक लाइन में जुड़ जाएंगे। और सबसे अच्छी बात, पूरा प्रोजेक्ट Green Corridor की तरह बनेगा, पेड़ लगेंगे, सोलर लाइटें होंगी, यानी विकास भी और पर्यावरण भी। भाई, ये सड़क सिर्फ कंक्रीट की नहीं, सपनों की है, जो पूरे इलाके को चमका देगी!
निष्कर्ष
गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे का यह नया रूट चेंज पूर्वी भारत के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की दिशा में एक मील का पत्थर है। बदलाव से न केवल ट्रैवल टाइम कम होगा, बल्कि आर्थिक एकीकरण भी तेज होगा, जो लाखों लोगों की जिंदगी को छुएगा। लेकिन सवाल यह है कि क्या हम समय पर डेडलाइन पूरी कर पाएंगे, या चुनौतियां इसे लंबा खींच देंगी? यह प्रोजेक्ट हमें सोचने पर मजबूर करता है कि बेहतर सड़कें कैसे एक मजबूत राष्ट्र का आधार बन सकती हैं।
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