वाराणसी कज्जाकपुरा आरओबी, बजट 100.65 करोड़ रुपये, 10 दिनों में जाम से राहत अपडेट 2025

By Apex@Infra

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वाराणसी कज्जाकपुरा आरओबी (1)

वाराणसी में कज्जाकपुरा आरओबी: यातायात जाम की लंबी लड़ाई

भाई, हमारे वाराणसी शहर के कज्जाकपुरा इलाके में दो Railway Crossing की वजह से रोजाना Traffic Jam की क्या हालत है, आप भी अच्छे से जानते होंगे। सुबह-शाम सैकड़ों गाड़ियां फंस जाती हैं, लोग घंटों इंतजार करते रहते हैं, और ऊपर से दुकानदारों का धंधा चौपट हो जाता है। बच्चे स्कूल लेट पहुंचते हैं, नौकरीपेशा भाई-बहन ऑफिस की टेंशन में रहते हैं, और ये समस्या सालों से चली आ रही है, जैसे शहर की पुरानी आदत बन गई हो। रिसर्च बताती है कि ये जाम न सिर्फ समय बर्बाद करता है, बल्कि प्रदूषण बढ़ाकर स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाता है, और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर सालाना करोड़ों का बोझ डालता है।

अब सबकी उम्मीदें उस नए Road Over Bridge पर टिकी हैं, जो इस संकट का पक्का हल लाने वाला है, और हालिया अपडेट्स से लगता है कि ये जल्दी ही शुरू हो जाएगा। प्रशासन ने कई बार डेडलाइन मिस की, लेकिन अब बाबा लाट भैरव फ्लाईओवर नाम से ये ROB लगभग तैयार है, और लाखों लोगों को रोजमर्रा की परेशानी से छुटकारा मिलेगा। विरोध प्रदर्शनों और लोकल लोगों की आवाज के बाद आखिरकार काम तेज हुआ, वैकल्पिक रास्ते बढ़ाए गए, और विशेषज्ञ कहते हैं कि इससे ट्रैफिक फ्लो सुधरेगा। भाई, ये हमारे शहर के लिए बड़ा बदलाव होगा, जहां अपनापन और आसान सफर फिर से लौट आएगा, जैसे पुराने दिनों की तरह।

निर्माण की शुरुआत: 2019 से चली आ रही उम्मीदों की कहानी

भाई, याद है सितंबर 2019 में जब Kazzakpura Road Over Bridge की नींव पड़ी थी, तो पूरे वाराणसी में जैसे एक नई जान फूंक दी गई हो? ये प्रोजेक्ट शहर को बिहार और गाजीपुर जैसे इलाकों से जोड़ने का बड़ा सपना था, कुल 1355 मीटर लंबा ब्रिज 54 पिलर्स पर खड़ा होने वाला, और लागत भी 144 करोड़ रुपये से ज्यादा की। शुरू में तो सब उत्साहित थे, लेकिन जल्द ही विभागों के बीच तालमेल की कमी ने सबको निराश कर दिया, जैसे घर में भाई-भाई आपस में ही उलझ जाएं। रिसर्च से पता चलता है कि ये Infrastructure Development का हिस्सा था, जो न सिर्फ ट्रैफिक कम करेगा बल्कि स्थानीय व्यापार को भी नई उड़ान देगा, और आज भी लोग इसी उम्मीद पर जी रहे हैं।

अब बात Project Timeline की, जो जून 2022 तक खत्म होने वाली थी, लेकिन मौसम की मार, सामग्री की किल्लत और पोर्टेबल फ्रेम टेक्नोलॉजी के बावजूद देरी हो गई। स्थानीय अखबारों ने सालों तक इसकी खबरें चलाईं, जो शहर की विकास की धीमी गति को आईना दिखाती रहीं, लेकिन सीएम योगी के हालिया निर्देशों से लगता है कि नवंबर 2025 तक ये पूरा हो जाएगा। पांच साल की ये प्रतीक्षा अब अंतिम चरण में है, नाम भी बदलकर Baba Laat Bhairav Flyover रखने का प्रस्ताव पास हो चुका, जो हमारे भैरव बाबा को समर्पित होगा। भाई, ये ब्रिज बनते ही कज्जाकपुरा की सड़कें सांस लेंगी, और हम सबका सफर आसान हो जाएगा, जैसे बाबा की कृपा से।

वाराणसी कज्जाकपुरा आरओबी (1)
वाराणसी कज्जाकपुरा आरओबी (1)

देरी के पीछे छिपे कारण: विभागीय लापरवाही और चुनौतियां

भाई, हमारे कज्जाकपुरा Road Over Bridge की ये देरी देखकर तो दिल दुखता है, लेकिन रिसर्च से पता चलता है कि पीछे Administrative Hurdles की बड़ी भूमिका है, जैसे विभागों के बीच तालमेल न होना और उच्च अधिकारियों की सतर्कता। सातवीं बार समयसीमा बढ़ना यही बताता है कि रेलवे और सड़क विभाग के विवाद ने क्रॉसिंग बंदी को लंबा खींच दिया, जिससे काम ठप्प पड़ा। डीएम के सख्त आदेशों के बावजूद, लोकार्पण की जिम्मेदारी ऊपर होने से नीचे वाले अफसर हिचकिचाते रहे, जैसे घर में बड़ा भाई फैसला न ले तो छोटे उलझन में पड़ जाएं। हालिया रिपोर्ट्स कहती हैं कि सीएम योगी ने अगस्त 2025 में खुद निर्देश दिए कि नवंबर तक पूरा हो, लेकिन कोऑर्डिनेशन की कमी ने सालों से शहर को परेशान किया है।

अब Funding Irregularities और तकनीकी चुनौतियों ने आग में घी डाल दिया, जैसे मौसमी बाधाएं, सामग्री की कमी और मॉनिटरिंग का ढीला पड़ना, जो विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसी परियोजनाओं की आम समस्या है। स्थानीय विधायक ने सदन में आवाज उठाई, जो प्रशासन को झकझोरने की कोशिश थी, लेकिन फंडिंग में अनियमितताओं ने देरी को और बढ़ा दिया। नवंबर 2025 में नाम बदलकर Baba Laat Bhairav Flyover करने का प्रस्ताव पास हुआ, जो बाबा की कृपा से उम्मीद जगाता है, लेकिन ये सब मिलकर न सिर्फ समय बर्बाद कर रहे हैं बल्कि वाराणसी की साख को भी ठेस पहुंचा रहे। भाई, अब सख्त निगरानी से ही ये संकट टलेगा, ताकि हमारा शहर फिर से चमके।

वर्तमान प्रगति: अंतिम स्पर्श और उम्मीद की किरण

भाई, आज 6 दिसंबर 2025 को कज्जाकपुरा Road Over Bridge पर 99.5 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है, जो हम सबके लिए बड़ी राहत की खबर है, जैसे बाबा की कृपा से अंधेरे में रोशनी की किरण। कंक्रीट कास्टिंग और बीम स्ट्रिंग गर्डर जोड़ने का सारा काम खत्म हो गया, जबकि पिच रोड का निर्माण तेज रफ्तार से चल रहा है, और हालिया इंस्पेक्शन में डीएम ने खुद जाकर सबकुछ चेक किया। रिसर्च बताती है कि नवंबर 2025 की डेडलाइन के बाद भी इंजीनियरिंग टीम दिन-रात जुटे हुए हैं, ताकि 10 दिसंबर तक ट्रैफिक शुरू हो सके, जो कज्जाकपुरा के हजारों निवासियों को जाम की जकड़न से आजादी देगा। ये Project Progress शहर की कनेक्टिविटी को मजबूत बनाएगा, और गाजीपुर-बिहार जाने वाले रास्ते आसान हो जाएंगे, जैसे घर लौटने का पुराना रास्ता फिर खुल जाए।

अब इस ब्रिज को Baba Laat Bhairav Flyover नाम देने का प्रस्ताव पास हो चुका, जो हमारी सांस्कृतिक जड़ों को जोड़ेगा और भैरव बाबा की आशीष से शहर को नई ऊर्जा देगा। आसपास के रास्तों का रिनोवेशन भी प्लान में है, ताकि ट्रैफिक फ्लो सुगम हो, और छोटे-बड़े वाहन बिना रुके दौड़ें, जैसे गंगा की लहरें। विशेषज्ञों का कहना है कि ये अंतिम स्पर्श पूरे करने के बाद वाराणसी की इंफ्रास्ट्रक्चर में क्रांति आएगी, जहां दुकानदारों का कारोबार चमकेगा और बच्चे समय पर स्कूल पहुंचेंगे। भाई, ये प्रगति हमारी उम्मीदों की सच्ची किरण है, जो अपनों के बीच अपनापन बढ़ाएगी और शहर को और जीवंत बना देगी।

Kazzakpura Road Over Bridge Map

निवासियों पर प्रभाव: जाम से निजात की प्रतीक्षा

भाई, कज्जाकपुरा के हजारों घरों में पिछले कई सालों से Traffic Congestion ने जैसे जिंदगी को जकड़ रखा है, सुबह-शाम गाड़ी फंस जाए तो घंटों निकलना मुश्किल हो जाता है। एम्बुलेंस भी बीच में अटक जाती है, मरीज का इलाज लेट हो जाता है, बुजुर्ग-महिलाएं घर से निकलने में डरती हैं, और बच्चे स्कूल लेट पहुंचते हैं। दुकानदार भाई कहते हैं कि ग्राहक आते-आते थक जाते हैं, धंधा चौपट हो रहा है, और युवा नौकरी के लिए निकलते हैं तो आधा दिन तो रास्ते में ही बीत जाता है। कई बार लोग सड़क पर उतरकर चिल्लाए, आंदोलन किए, लेकिन आवाज ऊपर तक नहीं पहुंच पाई, जैसे गंगा में पत्थर फेंका और लहर भी नहीं आई।

अब जब Baba Laat Bhairav Flyover खुलने की खबर आ रही है, तो पूरे मोहल्ले में एक नया जोश है, मानो बरसों बाद कोई त्योहार आने वाला हो। इस ब्रिज से न सिर्फ जाम से छुटकारा मिलेगा, बल्कि लोकल दुकानें फिर से चमकेंगी, पर्यटक आसानी से बनारस घूम सकेंगे, और Local Economy को जबरदस्त बूस्ट मिलेगा। लोग कह रहे हैं कि बाबा भैरव की कृपा से अब सफर आसान होगा, बच्चे समय पर स्कूल जाएंगे, और अपनों के पास पहुंचना फिर से मजेदार लगेगा। बस एक ही गुजारिश है कि भविष्य में ऐसी देरी न हो, ताकि हमारा वाराणसी हमेशा आगे बढ़ता रहे, जैसे गंगा की धारा कभी रुकती नहीं।

निष्कर्ष

कज्जाकपुरा आरओबी की कहानी विकास की जटिलताओं को उजागर करती है, जहां देरी के बावजूद अंतिम लक्ष्य नजर आ रहा है। यह ब्रिज न केवल ट्रैफिक जाम से मुक्ति देगा, बल्कि वाराणसी को क्षेत्रीय केंद्र के रूप में मजबूत करेगा। लेकिन यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हमारी प्रशासनिक व्यवस्था ऐसी परियोजनाओं को समय पर पूरा करने के लिए तैयार है? यदि हां, तो शहर की प्रगति और तेज होगी।

अंततः, निवासियों की धैर्यता और अधिकारियों की मेहनत इस प्रोजेक्ट को सफल बनाने का आधार बनेगी। सस्टेनेबल डेवलपमेंट के लिए पारदर्शिता और समन्वय जरूरी है, वरना ऐसी कहानियां दोहराई जाती रहेंगी। आइए, हम सब मिलकर शहर के बेहतर भविष्य की कल्पना करें।

FAQs

1. कज्जाकपुरा आरओबी कब तक पूरी तरह चालू हो जाएगा?
अधिकारियों के अनुसार, पिच रोड और अंतिम फिनिशिंग का काम दिसंबर 2025 के पहले हफ्ते तक पूरा हो जाएगा। 10-15 दिसंबर से वाहनों की आवाजाही शुरू होने की पूरी संभावना है।

2. इस ओवरब्रिज का नया नाम क्या रखा जा रहा है?
इस आरओबी का नाम बाबा लटभैरव ओवरब्रिज रखने का प्रस्ताव पास हो चुका है। जल्द ही इसका औपचारिक उद्घाटन इस नाम से होगा।

3. प्रोजेक्ट में इतनी देरी क्यों हुई?
मुख्य कारणों में रेलवे-सेटबैक के बीच समन्वय की कमी, फंड रिलीज में देरी, बारिश के मौसम में काम रुकना और टेक्निकल अप्रूवल में विलंब शामिल हैं। कुल 7 बार डेडलाइन बढ़ाई गई।

4. इस ब्रिज की कुल लंबाई और लागत कितनी है?
ब्रिज की कुल लंबाई 1355 मीटर है और इसकी अनुमानित कॉस्ट 144 करोड़ रुपये से अधिक है। इसमें 54 पिलर्स और आधुनिक बो स्ट्रिंग गर्डर का उपयोग हुआ है।

5. क्या इस ब्रिज से भारी वाहनों की आवाजाही भी होगी?
हाँ, यह 6-लेन आरओबी है, जिसमें हल्के और भारी दोनों तरह के वाहन आसानी से चल सकेंगे। इससे माल ढुलाई और बस सेवाएं भी सुगम होंगी।

6. कज्जाकपुरा में अभी जाम की स्थिति कितनी खराब है?
दोनों रेलवे क्रॉसिंग बंद होने पर रोजाना 2-3 घंटे तक भयंकर जाम लगता है। एम्बुलेंस तक फंस जाती है और स्कूली बच्चे सबसे ज्यादा परेशान होते हैं।

7. ब्रिज बनने से कितने इलाकों को फायदा होगा?
कज्जाकपुरा, लहुराबीर, बजरडीहा, पहड़िया, मंडुवाडीह और लोहता सहित दर्जनों मोहल्लों को सीधा लाभ मिलेगा। बिहार की ओर जाने वाला ट्रैफिक भी सुगम हो जाएगा।

8. क्या ब्रिज के नीचे सर्विस रोड भी बन रही है?
हाँ, दोनों तरफ सर्विस लेन और फुटपाथ बनाए जा रहे हैं। साथ ही स्ट्रीट लाइट और ड्रेनेज सिस्टम का भी पूरा ध्यान रखा गया है।

9. उद्घाटन कौन करेगा?
लोकार्पण मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ या केन्द्रीय मंत्री से कराने की तैयारी है। अंतिम फैसला प्रशासनिक स्तर पर जल्द होगा।

10. अगर फिर से देरी हुई तो क्या होगा?
जिलाधिकारी ने सख्त मॉनिटरिंग शुरू कर दी है। हर हफ्ते रिव्यू मीटिंग हो रही है और ठेकेदार पर भारी पेनाल्टी लगाने की चेतावनी दी गई है। अब देरी की गुंजाइश बहुत कम है।

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Apex@Infra

House Construction Cost Calculator टूल को तैयार करने वाले हैं राम नारायण जी, जो निर्माण क्षेत्र (Construction Field) में पिछले 3 सालों से अधिक अनुभव रखते हैं। राम नारायण जी ने अपने अनुभव के दौरान देखा कि भारत में घर या सड़क निर्माण करवाने वाले ज्यादातर लोगों को यह नहीं पता होता कि निर्माण कार्य में कितनी मात्रा में मटेरियल (ईंट, सीमेंट, रेत, स्टील) की आवश्यकता होगी और उसकी अनुमानित लागत कितनी आएगी। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए उन्होंने इस टूल को Apexinfra.co.in वेबसाइट पर विकसित किया ताकि हर व्यक्ति को अपने प्रोजेक्ट की जानकारी सरल भाषा में मिल सके। राम नारायण जी का उद्देश्य — “मैंने यह टूल इसलिए बनाया ताकि भारत में घर या सड़क निर्माण करने वाला कोई भी व्यक्ति सटीक और पारदर्शी जानकारी प्राप्त कर सके। मेरा उद्देश्य है कि हर यूज़र को अपनी परियोजना की लागत और मटेरियल की स्पष्ट समझ मिले ताकि वह अपने पैसे और समय का सही उपयोग कर सके।” Apex Infra भारत की एक भरोसेमंद वेबसाइट है जो निर्माण, इंफ्रास्ट्रक्चर और टेक्नोलॉजी टूल्स के क्षेत्र में उपयोगी डिजिटल समाधान प्रदान करती है। इस वेबसाइट का मकसद है कि हर आम व्यक्ति को निर्माण से जुड़ी सही जानकारी और डिजिटल सुविधा उपलब्ध कराई जाए। यह टूल उसी दिशा में एक कदम है — टेक्नोलॉजी के ज़रिए पारदर्शिता और ज्ञान फैलाने का।

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