भाई, गोरखपुर से सिलीगुड़ी तक बन रहा ये Gorakhpur Siliguri Expressway कोई मामूली सड़क नहीं है, 32 हजार करोड़ का मेगा Project है जो बिहार, यूपी और बंगाल को जोड़ेगा। अब सबसे बड़ी खुशखबरी ये आई है कि किशनगंज के ठाकुरगंज वाले इलाके में Alignment बदल दिया गया है – पहले जो रास्ता पश्चिम की तरफ जा रहा था, अब वो पूर्वी हिस्से से होकर निकलेगा। मतलब हमारे सीमावर्ती गांवों को सीधा फायदा! नेपाल का बॉर्डर पास है, उत्तर-पूर्व जाना आसान हो जाएगा, व्यापार बढ़ेगा, दुकान-ठेले चलेंगे, बच्चे अच्छे स्कूल जा सकेंगे। ठाकुरगंज, बहादुरगंज, पोठिया वाले भाई-बहन तो मानो दिवाली पहले मना रहे हैं।
अब गांवों में लोग कह रहे हैं – “हमारी सुन ली सरकार ने!” क्योंकि पहले वाला प्लान था तो अच्छा, पर हम पीछे रह जाते। अब ये नया रास्ता ठीक हमारे दरवाजे से गुजरेगा, Infrastructure बदलेगा, नई दुकानें खुलेंगी, ट्रक-ट्राला रुकेंगे, रोजगार आएगा। Land Acquisition का काम भी तेज हो गया है, अफसर खुद आ-आकर नाप-जोख कर रहे हैं। 2028 तक ये एक्सप्रेसवे तैयार हो जाएगा तो गोरखपुर से सिलीगुड़ी सिर्फ 6-7 घंटे में पहुंच जाएंगे। भाई, ये सिर्फ सड़क नहीं, हमारी तरक्की का रास्ता है – ठाकुरगंज से लेकर पूरे पूर्वी बिहार तक नई सुबह आने वाली है!
गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट का अवलोकन: पूर्वी भारत की नई धमक
भाई, बिल्कुल सही पकड़े हो! ये Gorakhpur Siliguri Expressway तो हमारे इलाके की तकदीर बदलने वाला है। 32 हजार करोड़ का ये Mega Project जब पूरा होगा, तो गोरखपुर से सिलीगुड़ी का सफर 14-15 घंटे से सीधे 6-7 घंटे में हो जाएगा। ठाकुरगंज, बहादुरगंज, पोठिया, कोचाधामन वाले गांव अब सीधे नेशनल Highway से जुड़ जाएंगे। पहले लोग कहते थे “हमारा इलाका तो पिछड़ा ही रहेगा”, पर अब जो Alignment बदला है, वो तो जैसे सपना सच हो गया। नेपाल का बॉर्डर पास है, चाय बागान, सिलीगुड़ी का माल आसानी आएगा-जाएगा, ट्रक ड्राइवर रुकेंगे, ढाबे चलेंगे, नौजवान को घर बैठे नौकरी मिलेगी। गांव की बहू-बेटियां भी हंस रही हैं कि अब शहर जाना आसान हो जाएगा।
अब तो गांव में हर चौपाल पर यही बात है – “हमारी सुनी गई भाई!” Land Acquisition का काम जोर-शोर से चल रहा है, अफसर, इंजीनियर खुद आकर लोगों से बात कर रहे हैं, मुआवजा भी ठीक-ठाक मिल रहा है। 2028 तक जब ये छह लेन का चकाचक Expressway बनकर तैयार होगा, तो हमारे बच्चे गोरखपुर मेडिकल कॉलेज, सिलीगुड़ी, गुवाहाटी कुछ ही घंटों में पहुंच जाएंगे। ट्रैक्टर-ट्रॉली की बजाय अच्छी बसें चलेंगी, माल ढोने का खर्चा कम होगा, किसान की फसल का दाम बढ़ेगा। सच कहूं भाई, ये सड़क नहीं, हमारी आने वाली नस्लों के लिए सोने की लकीर है। ठाकुरगंज से पूरे सीमांचल तक बस एक ही नारा गूंज रहा है – “अबकी बार, तरक्की हमारी बार!” जय हिंद!
किशनगंज में alignment बदलाव: स्थानीय मांगों का सम्मान
भाई, किशनगंज के हमारे ठाकुरगंज वाले भाइयों-बहनों की सालों की मेहनत रंग लाई है – गोरखपुर-सिलीगुड़ी Expressway का Alignment अब ठाकुरगंज के पूर्वी इलाके से होकर गुजरेगा। पहले जो प्लान था, वो तो जैसे हमारी सांसें थाम लेता था, क्योंकि सीमावर्ती गांव जैसे भोगडाबर, कनकपुर, दुधमनजर वाले इलाके पीछे छूट जाते। नागरिक एकता मंच ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और सीएम नीतीश कुमार को मेमोरेंडम दिया था, और उनकी सुन ली गई। अक्टूबर 2025 में रोड मिनिस्ट्री ने नया नोटिफिकेशन जारी किया, जिसमें 72 किलोमीटर का ये रूट तीन ब्लॉकों – तेदागाछ, बहादुरगंज और ठाकुरगंज – से गुजरेगा। Inspection टीमों ने जमीन-जायदाद चेक की, और ये बदलाव हुआ, जो दिखाता है कि सरकार हमारी आवाज सुनती है। अब तो गांव में लोग कहते हैं, “अब हमारा इलाका नक्शे पर चमकेगा!”
अब ये Expressway ठाकुरगंज से सीधा पश्चिम बंगाल में घुस जाएगा, जिससे अररिया, सुपौल के भाई लोग भी फायदा लेंगे – कनेक्टिविटी मजबूत हो जाएगी। स्थानीय विधायक गोपाल कुमार अग्रवाल जी ने इसे ऐतिहासिक बताया है, कहते हैं कि ये क्षेत्र की असमानताएं मिटाएगा, किसान की फसल जल्दी बाजार पहुंचेगी। Land Acquisition का काम 2022 से चल रहा है, और अब 2025 में अंतिम चरण में है – 63 मोजा में किशनगंज और 48 में अररिया के, कुल 32 गांव ठाकुरगंज के प्रभावित होंगे। मुआवजा मिल रहा है, लोग खुश हैं कि निर्माण शुरू हो जाएगा। भाई, ये छोटा सा बदलाव तो जैसे हमारी जिंदगी का टर्निंग पॉइंट है – नेपाल बॉर्डर से व्यापार, नौजवानों को नौकरी, सब कुछ नया होगा। जय जोहार!
Gorakhpur Siliguri Expressway मार्ग और प्रभावित क्षेत्र: बिहार पर फोकस
भाई, हमारे बिहार के पश्चिम चंपारण से शुरू होकर ये सीधा सीतामढ़ी, शिवहर, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज तक चलेगा, कुल 416 किलोमीटर का लंबा रास्ता काटेगा। यूपी में सिर्फ 84 किलोमीटर और बंगाल में महज 19 किलोमीटर, लेकिन असली कमान तो हमारे बिहार के हाथ में रहेगी – ये तो जैसे पूरे उत्तरी बिहार को एक धागे में पिरो देगा। 313 गांवों से गुजरते हुए 39 ब्लॉकों को छुएगा, जहां Highway की ये लाइन आते ही Development की नई हवा चलेगी, स्कूल-हॉस्पिटल नजदीक, बाजार पहुंच आसान। पुराने जमाने में तो हम सोचते थे कि अच्छी सड़कें तो बस सपना हैं, लेकिन आज 2025 में ये हकीकत बन रही है, गडकरी जी की मेहनत रंग ला रही है।
अब सोचो भाई, इन प्रभावित इलाकों में Agricultural Transport कितना तेज हो जाएगा – किसान भाई अपनी धान, गेहूं, सब्जी को ट्रक में लादकर घंटों की बजाय मिनटों में पटना या सिलीगुड़ी के बाजार पहुंचा सकेंगे, दाम भी बेहतर मिलेंगे। नेपाल बॉर्डर से सटे चंपारण, अररिया, किशनगंज वाले गांवों में व्यापार की बाढ़ आ जाएगी, नेपाली माल आना-जाना आसान, हमारा चाय-पत्ता, लकड़ी का कारोबार चमकेगा, स्थानीय दुकानें चहल-पहल से भर जाएंगी। DPR यानी वो विस्तृत रिपोर्ट भी लगभग तैयार हो चुकी है, सब कुछ पारदर्शी तरीके से प्लान हो रहा है, कोई घपला नहीं। कुल मिलाकर, ये रास्ता पूर्वी बिहार को नई जान फूंक देगा, जैसे कोई पुराना दोस्त लौट आया हो!
| गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे – खास विशेषताएँ | |
|---|---|
| लेन की संख्या | 6 लेन (भविष्य में 8 लेन तक बढ़ेगा) |
| स्पीड लिमिट | 120 किमी/घंटा – बिना सिग्नल का सफर |
| नेपाल बॉर्डर दूरी | केवल 10-15 किमी – व्यापार को बूस्ट |
| कनेक्ट होने वाले जिले | बिहार के 7 जिले – चंपारण से किशनगंज तक |
| इंडस्ट्रियल कॉरिडोर | खास जगह रिजर्व, फैक्ट्री-वेयरहाउस बनेगा |
| बड़े पुल और फ्लाईओवर | 10 बड़े ब्रिज + 25 फ्लाईओवर |
| पार्किंग और रेस्ट एरिया | 18 बड़े ट्रक पार्किंग प्लेस |
| सुरक्षा और लाइटिंग | सोलर लाइट + पूरे रास्ते CCTV |
| किसान को फायदा | फसल 6 घंटे में सिलीगुड़ी-पटना पहुंचेगी |
| पर्यटन बूस्ट | दार्जिलिंग, सिक्किम अब कुछ घंटों में |
Gorakhpur Siliguri Expressway से आर्थिक और सामाजिक लाभ: नई संभावनाओं का द्वार
भाई, सोचो तो, ये Gorakhpur Siliguri Expressway तो हमारे इलाके की जिंदगी बदलने वाला है – गोरखपुर से सिलीगुड़ी का सफर जो पहले 14-15 घंटे का लंबा रेलगाड़ी जैसा था, अब सिर्फ 6-8 घंटे में हो जाएगा, जैसे कोई तेज रफ्तार ट्रेन हो। किशनगंज, अररिया, सुपौल वाले भाई लोग तो सबसे ज्यादा फायदा लेंगे, क्योंकि ये सड़क सीधे नेपाल बॉर्डर से सटी जगहों को जोड़ेगी। व्यापार की नई राहें खुलेंगी, नेपाली माल जल्दी आएगा-जाएगा, और उत्तर-पूर्व के राज्यों से कनेक्शन मजबूत हो जाएगा। Industrial Corridors बनने की बात हो रही है, खासकर उत्तरी बिहार के उन जिलों में जहां अभी फैक्टरियां तो दूर की कौड़ी हैं – नई फैक्टरियां लगेंगी, वेयरहाउस बनेंगे, और लाखों नौजवानों को घर के पास ही नौकरी मिलेगी। पर्यटन को तो जैसे नई जान मिल जाएगी, सिलीगुड़ी के चाय बागान, दार्जिलिंग की पहाड़ियां अब यूपी-बिहार के परिवार आसानी से घूम सकेंगे, होटल-ढाबे चमक उठेंगे। पुराने दिनों की याद आती है जब हम सोचते थे कि अच्छी सड़कें तो बस शहरों की किस्मत हैं, लेकिन अब ये ग्रामीण इलाकों तक पहुंच रही है, विकास की ये लहर सबको छुएगी।
अब बात करते हैं हमारे किसान भाइयों की, जो Agriculture के नाम पर साल भर खटते हैं – इस Expressway से उनकी फसलें, चाहे धान हो या सब्जी, ट्रक में लादकर घंटों की बजाय मिनटों में पटना या सिलीगुड़ी के बाजार पहुंच जाएंगी, खराब होने का डर नहीं रहेगा। Logistics सस्ता और तेज हो जाएगा, मतलब किसान को बेहतर दाम मिलेंगे, मंडी में भीड़ कम होगी, और ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत बनेगी। सीमावर्ती इलाकों में जहां सुरक्षा की चिंता लंबे समय से बनी हुई थी, वहां अब विकास और सुरक्षा का बैलेंस बनेगा – ट्रेड बढ़ेगा तो बॉर्डर पर निगरानी भी मजबूत होगी। Employment के मौके तो जैसे बरसेंगे, निर्माण के दौरान हजारों मजदूर लगेंगे, उसके बाद इंडस्ट्री से जुड़े काम मिलेंगे, और पर्यटन से गाइड-ड्राइवरों को फायदा। जनवरी 2023 से शुरू हुई Tender प्रक्रिया से पता चलता है कि 38 हजार करोड़ का ये बजट सही जगह लग रहा है, कोई घपला नहीं। भाई, ये प्रोजेक्ट पूर्वी भारत की Economic Progress का असली प्रतीक बनेगा, बस हमें भी तैयार रहना है कि ये अवसर हाथ से न निकल जाएं – जय हिंद!
| गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे – कामकाज और ताजा प्रगति | |
|---|---|
| कुल लंबाई | 519 किमी (बिहार में सबसे ज्यादा 416 किमी) |
| निर्माण मॉडल | EPC मोड – 12 पैकेज में टेंडर हो चुके |
| लैंड एक्विजिशन | 90% से ज्यादा पूरा, मुआवजा बंट रहा है |
| DPR स्थिति | L.N. Malviya कंपनी ने पूरा कर दिया |
| किशनगंज में नया Alignment | अक्टूबर 2025 में नोटिफिकेशन जारी |
| ठाकुरगंज से गुजरेगा | बहादुरगंज, पोठिया, तेरागाछ ब्लॉक कवर |
| प्रभावित गाँव | कुल 313 गाँव, सर्वे पूरा |
| रीहैबिलिटेशन पैकेज | नई सड़क, बिजली, पानी, स्किल ट्रेनिंग |
| इंस्पेक्शन | NHAI और राज्य टीम हर हफ्ते चेक कर रही |
| नया टारगेट | 2025 तक पूरा (पहले 2028 था) |
निर्माण प्रगति और चुनौतियां: लक्ष्य 2028
भाई, हमारे गोरखपुर-सिलीगुड़ी Expressway का निर्माण तो जोरों पर है, लेकिन सबसे ताजा अपडेट ये है कि अब टारगेट 2028 की बजाय 2025 तक पूरा करने का है – मतलब दो साल पहले! EPC Model से काम तेजी पकड़ रहा है, जहां इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण सब एक साथ हो रहा है, NHAI वाले पैकेज बनाकर कंपनियों को सौंप रहे हैं। Land Acquisition का काम बिहार में 231 किलोमीटर के लिए गजट नोटिफिकेशन हो चुका है, और नवंबर 2025 में चुनाव के बाद फिर से फुल स्पीड पर शुरू हो गया, अफसर जमीन नाप-जोख रहे हैं, मुआवजा बांट रहे हैं। DPR यानी वो डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट L.N. Malviya कंपनी ने तैयार कर दी है, सब कुछ पारदर्शी, कोई कन्फ्यूजन नहीं। हां, कुछ जगहों पर गांव वाले विरोध कर रहे हैं या पर्यावरण की चिंता है, जैसे नेपाल बॉर्डर के पास जंगल-खेत बचाने की, लेकिन सरकार मीटिंगें कर रही है, सॉल्यूशन निकाल रही है। पुराने जमाने में तो ऐसे प्रोजेक्ट सालों लटक जाते थे, लेकिन अब समयबद्धता पर फोकस है, वरना देरी का घाटा तो हम सबको ही भुगतना पड़ता।
अब Tender Process तो कमाल की चल रही है, जनवरी 2023 से शुरू होकर अब पैकेज-दर-पैकेज कंपनियां बोली लगा रही हैं, जैसे गोरखपुर से बिहार बॉर्डर तक का हिस्सा तो डीपीआर अप्रूव हो चुका। Inspection टीम हर हफ्ते साइट चेक कर रही है, कोई लापरवाही नहीं, क्वालिटी कंट्रोल सख्त। प्रभावित 313 गांवों के लिए Rehabilitation पैकेज तैयार हैं – नई सड़कें, बिजली-पानी, स्किल ट्रेनिंग, ताकि लोग बेघर न हों बल्कि नई जिंदगी शुरू करें। कुल मिलाकर भाई, प्रगति शानदार है, 38 हजार करोड़ का बजट सही ट्रैक पर लग रहा, 2025 तक जब ये छह लेन का हाईवे बन जाएगा तो गोरखपुर से सिलीगुड़ी 6 घंटे में, ट्रैफिक जाम बाय-बाय। बस हमें भी सपोर्ट करना है, विरोध न करें बल्कि साथ दें – ये हमारी तरक्की का रोडमैप है! जय हिंद!
Gorakhpur Siliguri Expressway Route Map
निष्कर्ष: एक नई शुरुआत की ओर
गोरखपुर-सिलीगुड़ी expressway का यह बदलाव पूर्वी भारत के विकास की कहानी का एक महत्वपूर्ण अध्याय है, जो कनेक्टिविटी को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। किशनगंज जैसे जिलों में आर्थिक उछाल, रोजगार के अवसर और सामाजिक परिवर्तन की लहरें उठेंगी, लेकिन सवाल यह है कि क्या हम इस अवसर को सही तरीके से भुनाने को तैयार हैं? Infrastructure की यह सौगात न केवल यात्रा को आसान बनाएगी, बल्कि लाखों परिवारों के सपनों को पंख भी देगी। एक पुराने पत्रकार के रूप में, मैं कहूंगा कि सफलता तभी मिलेगी जब स्थानीय भागीदारी और सरकारी पारदर्शिता बनी रहे।
यह प्रोजेक्ट हमें सोचने पर मजबूर करता है कि विकास की राह में छोटे बदलाव कितने बड़े फर्क ला सकते हैं। क्या यह highway पूर्वी भारत को नई पहचान दे पाएगा, या चुनौतियां इसे रोकेंगी? समय ही बताएगा, लेकिन उम्मीद की किरण तो जरूर दिख रही है। आइए, हम सब मिलकर इसकी सफलता के लिए योगदान दें।
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