Varanasi Ropeway Project: बनारस में रोपवे शुरू होने वाला है – टिकट सिर्फ 50 रुपये, पूरी डिटेल यहाँ.!

By Apex@Infra

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Varanasi Ropeway Project

वाराणसी में अब आसमान पर रास्ता बनेगा: रोपवे से नई उम्मीद

भाई, बनारस की गलियों में तो सुबह से शाम तक Traffic Jam ही Traffic Jam है! गोदौलिया से दशाश्वमेध घाट तक का रास्ता देखो, रिक्शा, ई-रिक्शा, टूरिस्ट की बसें और Pilgrims की भीड़—सब मिलकर ऐसा जाम लगा देते हैं कि घंटा-घंटा भर लग जाता है। बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने निकले तो रास्ते में ही आधा दिन निकल जाता है। पहले Metro Project की बड़ी-बड़ी बातें हुईं, पर जैसे ही खुदाई शुरू हुई, नीचे से पुरानी मूर्तियाँ, कुएँ और खजाने निकलने लगे—बस, काम ठप्प!

अब जाकर काशीवासियों के चेहरे पर मुस्कान लौट रही है। Ropeway Project ने वो कर दिखाया जो मेट्रो नहीं कर पाई। आसमान के रास्ते अब पाँच मिनट में गोदौलिया से कैंट पहुँच जाओगे। ये कोई अमीरों की सैर-सपाटा वाली राइड नहीं, बल्कि हमारे जैसे आम बनारसी की Public Transport है। सुबह मंदिर जाने वाली माँ-बाबूजी, स्कूल का बस्ता लटकाए बच्चे, और चौक-गोदौलिया में दुकान खोलने वाले भइया—सबकी ज़िंदगी आसान होने वाली है। बाबा भोले का आशीर्वाद और इंजीनियरों की मेहनत, दोनों मिलकर काशी को नया रास्ता दे रहे हैं!

मेट्रो क्यों नहीं चली? असल वजहें जो आप नहीं जानते

भइया, बनारस में Metro Project की बातें तो 2015 से चल रही थीं, लेकिन हर बार प्लान अटक जाता था। असल वजह ये थी कि शहर की पुरानी गलियों में खुदाई करते ही Archaeological Finds निकल आते—हजारों साल पुरानी मूर्तियाँ, कुएँ और ईंटें! ASI यानी पुरातत्व विभाग तुरंत रोक लगा देता, क्योंकि काशी की धरती तो जैसे खजाने से भरी पड़ी है। ऊपर से Budget Overrun की मार—एक किलोमीटर खोदने में ही 17000 करोड़ का अनुमान था, और रीडरशिप कम होने से कमाई नहीं हो पाती। बरसात में पानी भरना, घनी आबादी में घर तोड़ना—सब मिलकर प्रोजेक्ट नामुमकिन बना दिया।

अब देखो, काशी की टेढ़ी-मेढ़ी गलियाँ और घनी बस्तियाँ मेट्रो के लिए बिलकुल फिट नहीं बैठीं। Engineers ने भी कह दिया कि पुराने शहर में अंडरग्राउंड ट्रैक बनाना जोखिम भरा है, विरासत को नुकसान पहुँचेगा। आखिरकार 2018-19 में केंद्र सरकार ने साफ इनकार कर दिया, क्योंकि नई मेट्रो पॉलिसी में छोटे शहरों के लिए इतना महँगा प्रोजेक्ट फिजिबल नहीं था। लेकिन बनारसवासियों का सपना टूटा नहीं—सरकार ने सोचा ज़मीन के नीचे नहीं तो Ropeway Project आसमान में बनाएँगे! पर्यटन मंत्रालय और यूपी सरकार ने मिलकर हरी झंडी दिखाई, और अब ये पूरे देश की मिसाल बन रहा है—दिसंबर 2025 तक शुरू होने की उम्मीद! बाबा भोले की कृपा से काशी अब ऊँचाई पर उड़ान भरेगी।

वाराणसी रोपवे प्रोजेक्ट: पूरी जानकारी एक नजर में

मुख्य जानकारीखास बातें
Traffic Jam से मुक्ति: गोदौलिया से कैंट सिर्फ 15 मिनट में!Metro Project कैंसिल: पुरातत्व खजाने और 17000 करोड़ का खर्चा
Ropeway Project भारत का पहला अर्बन पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोपवेटिकट 50-60 रुपये, मंथली पास 500-600 में अनलिमिटेड यात्रा
5 स्टेशन: कैंट → काशी विद्यापीठ → रथयात्रा → गिरजाघर → गोदौलियासुबह 5 से रात 12 बजे तक, AC Cabin, Wi-Fi, छूट मिलेगी
Land Acquisition में कोर्ट-कचहरी, बारिश में रुकावट, लेकिन दिसंबर 2025 में शुरूदुकानदारों को Compensation + नई जगह, सैकड़ों को Employment
बोलीविया-स्विट्जरलैंड की टेक्नोलॉजी, Parvatmala Pariyojana का सबसे तेज प्रोजेक्टPollution कम, गंगा किनारे कोई सड़क नहीं, बनारस Smart City बन रहा है!

रोपवे कैसे काम करेगा? आम आदमी की भाषा में समझिए

अरे बनारसी भइया, कल्पना करो तुम कैंट स्टेशन से उतरे, ट्रेन की भीड़ से निकले और सीधे Ropeway Station पर चढ़ गए। टिकट कटाया सिर्फ 60 रुपये का, और बस 15-16 मिनट में गोदौलिया पहुँच गए! बीच में गंगा के ऊपर से गुज़रते हुए बाबा विश्वनाथ कॉरिडोर की चमकती छतें, घाटों की आरती की झलक—सब ड्रोन जैसा नज़ारा मिलेगा। हर Cabin में 10 लोग आराम से बैठेंगे, AC की ठंडी हवा, Wi-Fi फ्री, और बुजुर्गों-बच्चों के लिए स्पेशल सीटें। Trial Run अक्टूबर 2025 से चल रहा है, दिसंबर तक पूरा शुरू हो जाएगा—148 केबिन्स आसमान में उड़ेंगे, पीक टाइम में हर 30 सेकंड में एक आएगा!

ये कोई महँगा स्विस टूर नहीं, हमारे बनारस की Public Transport है भाई। महीने का पास 500-600 में अनलिमिटेड घूमो, बुजुर्गों-बच्चों को छूट, और सबसे बढ़िया—गंगा किनारे कोई नई सड़क नहीं बनेगी, इसलिए Pollution कम, हवा साफ। दुकानदारों की छत के ऊपर से केबल गुज़रेगा, ज़मीन पर कुछ नहीं छुएगा। 5 स्टेशन—कैंट, काशी विद्यापीठ, रथयात्रा, गिरजा घर, गोदौलिया—सुबह 5-6 बजे से रात 10-12 बजे तक चलेगा। बाबा भोले की कृपा से अब जाम में नहीं फँसना पड़ेगा, काशी की गलियों में आसमान का रास्ता खुल गया! हर हर महादेव!

रुकावटें आईं, लेकिन हिम्मत नहीं हारी

अरे बनारसी भइया-बहिन, शुरू में तो लगा था कि Ropeway Project भी मेट्रो की तरह अटक जाएगा! Land Acquisition में भारी दिक्कत आई, गोदौलिया में दुकानदारों ने कोर्ट-कचहरी कर दी, सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2025 में स्टेटस क्वो लगा दिया। फिर जून में पुराना घोड़ानाला टूट गया, पानी भर गया, टावर T29 की पाइलिंग रुक गई—काम छह महीने से ज्यादा ठप्प! बारिश ने और मुसीबत बढ़ाई, लेकिन NHAI और NHLML की टीम ने रात-दिन एक कर दिया। अब नवंबर 2025 तक कैंट, काशी विद्यापीठ, रथयात्रा के स्टेशन लगभग तैयार, गिरजाघर और गोदौलिया पर फिनिशिंग चल रही। ट्रायल रन शुरू हो चुके हैं, दिसंबर में पहला फेज चालू होने की पूरी उम्मीद—बाबा भोले की कृपा से काशी आसमान पर उड़ने को तैयार!

लोगों की तकलीफें भी खूब सुनी गईं भाई। जिनकी दुकानें हटीं, उन्हें Compensation दिया गया, नई जगह अलॉट की गई—कई कोर्ट केस सुलझा लिए। लोकल ठेकेदारों को काम मिला, सैकड़ों मजदूरों-महिलाओं को Employment का सहारा मिला, साइट पर खाना बनाने वाली बहनें भी कमाने लगीं। पार्किंग, मेडिकल रूम, एम्बुलेंस की व्यवस्था हो रही है हर स्टेशन पर। ये प्रोजेक्ट सिर्फ ट्रांसपोर्ट नहीं, बनारस का Development का नया चेहरा बन गया—लाखों लोगों को जाम से मुक्ति, रोजगार और गर्व! हर हर महादेव, काशी अब बदल रही है, और ये बदलाव हम सबका है।

दुनिया ने भी तारीफ की, बनारस आगे निकला

अरे बनारसी भइया, बोलीविया की राजधानी ला पाज़ में दुनिया का सबसे लंबा Ropeway System चलता है, Mi Teleferico नाम से, जो ऊँचे-ऊँचे पहाड़ों पर शहर को जोड़ता है। उसी मॉडल से इंस्पायर होकर बनारस का Ropeway Project बना, और इंटरनेशनल एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि काशी वाला दुनिया का तीसरा और भारत का पहला अर्बन पब्लिक ट्रांसपोर्ट रोपवे है—ला पाज़ और मेक्सिको सिटी के बाद! स्विट्जरलैंड की Bartholet कंपनी ने टेक्नोलॉजी दी, सेंसर लगे हैं जो दूर से ही स्विस एक्सपर्ट्स को अलर्ट भेजते हैं। पर्यटक अब हेलीकॉप्टर छोड़कर रोपवे से गंगा आरती का नजारा ऊपर से लेंगे, वो भी सिर्फ 50-60 रुपये में—सोचो कितना कमाल का व्यू मिलेगा बाबा विश्वनाथ कॉरिडोर का!

Parvatmala Pariyojana के तहत देशभर में दर्जनों रोपवे बन रहे हैं, लेकिन बनारस सबसे आगे निकल गया—दिसंबर 2025 में शुरू होने वाला पहला पूरा प्रोजेक्ट! हिमाचल, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर में भी प्लान हैं, पर काशी ने सबको पीछे छोड़ दिया। ये गर्व की बात है भाई, हमारी पुरानी काशी अब Smart City का नमूना बनेगी—जाम से मुक्ति, प्रदूषण कम, और रोजगार भी बढ़ा। बाबा भोले की नगरी में आसमान भी अब रास्ता देगा, हर हर महादेव! ये बदलाव देखकर दुनिया तारीफ कर रही है, और हम बनारसी तो फूले नहीं समा रहे।

Varanasi Ropeway Map

निष्कर्ष

दोस्तों, बनारस की तंग गलियों में घंटों फँसने वाला हर बनारसी अब सच में राहत की साँस ले सकता है। Ropeway Project ने साबित कर दिया कि पुरानी काशी के लिए पुरानी सोच नहीं चलेगी—मेट्रो अटक गई तो क्या हुआ, आसमान ने रास्ता दे दिया! ये सिर्फ़ एक यातायात का साधन नहीं, बल्कि बाबा विश्वनाथ की नगरी की New Identity बन गया है। दिसंबर 2025 से जब पहला केबिन उड़ेगा, तो लाखों लोग जाम की मार से बचेंगे, हवा साफ रहेगी, और बनारस की शान और बढ़ जाएगी। बाबा भोले की कृपा से हमारा शहर अब दुनिया को दिखाएगा कि विरासत और विकास साथ-साथ चल सकते हैं।

अब सोचने की बारी आपकी है भइया—जब गोदौलिया से कैंट तक 15 मिनट में पहुँच जाओगे, तो जो घंटा-घंटा बचता था, उसमें क्या करोगे? बाबा के दरबार में ज्यादा देर रुककर Prasad चढ़ाओगे, या घरवालों के लिए बनारसी साड़ी-सुपारी ले आओगे? ये Smart Banaras हम सबने मिलकर बनाया है—मजदूरों की मेहनत, दुकानदारों का साथ, और सरकार की नई सोच। बनारस बदल रहा है, और ये बदलाव हम सबका है। बाबा भोलेनाथ सबकी मनोकामना पूरी करें। हर हर महादेव!

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Apex@Infra

House Construction Cost Calculator टूल को तैयार करने वाले हैं राम नारायण जी, जो निर्माण क्षेत्र (Construction Field) में पिछले 3 सालों से अधिक अनुभव रखते हैं। राम नारायण जी ने अपने अनुभव के दौरान देखा कि भारत में घर या सड़क निर्माण करवाने वाले ज्यादातर लोगों को यह नहीं पता होता कि निर्माण कार्य में कितनी मात्रा में मटेरियल (ईंट, सीमेंट, रेत, स्टील) की आवश्यकता होगी और उसकी अनुमानित लागत कितनी आएगी। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए उन्होंने इस टूल को Apexinfra.co.in वेबसाइट पर विकसित किया ताकि हर व्यक्ति को अपने प्रोजेक्ट की जानकारी सरल भाषा में मिल सके। राम नारायण जी का उद्देश्य — “मैंने यह टूल इसलिए बनाया ताकि भारत में घर या सड़क निर्माण करने वाला कोई भी व्यक्ति सटीक और पारदर्शी जानकारी प्राप्त कर सके। मेरा उद्देश्य है कि हर यूज़र को अपनी परियोजना की लागत और मटेरियल की स्पष्ट समझ मिले ताकि वह अपने पैसे और समय का सही उपयोग कर सके।” Apex Infra भारत की एक भरोसेमंद वेबसाइट है जो निर्माण, इंफ्रास्ट्रक्चर और टेक्नोलॉजी टूल्स के क्षेत्र में उपयोगी डिजिटल समाधान प्रदान करती है। इस वेबसाइट का मकसद है कि हर आम व्यक्ति को निर्माण से जुड़ी सही जानकारी और डिजिटल सुविधा उपलब्ध कराई जाए। यह टूल उसी दिशा में एक कदम है — टेक्नोलॉजी के ज़रिए पारदर्शिता और ज्ञान फैलाने का।

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